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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 48)

विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 48)


"ये तुमने क्या किया?"  ग्रेमाक्ष को निढाल पड़कर गिरते देख वीर के आश्चर्य की कोई सीमा न रही, आज तो उसने एक के बाद एक अनेकों आश्चर्य देख लिए थे।

"वहीं किया जिसकी मैं कब से तैयारी कर रहा था। ग्रेमाक्ष को उसके सबसे बड़े डर के सामने ले गया। हाहाहा…!" ठहाका मारते हुए डार्क लीडर, वीर की ओर बढ़ा। ग्रेमाक्ष का शरीर शून्य पड़ चुका था, उसकी छटपटाहट को देखकर पता चल रहा था वह बहुत अधिक तड़प, कितने अधिक दर्द में था।

"एक रोड़ा तो राह से हटा, तुम्हारा क्या विचार है वीर; तुम खुद से ही मुझे अंधेरे के साम्राज्य के सम्राट पद पर आसित करा मेरा अभिषेक करोगे या फिर दो दो हाथ करने का विचार है!" डार्क लीडर की लपटें और ऊंची हो गयी, उसके लहज़े में व्यंग्य का पुट था। डार्क लीडर पहले से और अधिक शक्तिशाली होता जा रहा था।

"मत भूल डार्क लीडर! ये सभी शक्तियां अंधेरे के उत्तराधिकारी को हासिल होंगी, और मैंने अभी दावेदारी छोड़ी नही है हाहाहा…!" वीर ने हँसते हुए कहा, डार्क लीडर चौका, अब वीर की शक्तियां भी बढ़ रही थी। ग्रेमाक्ष की तड़प और अधिक बढ़ती जा रही थी, वह निर्जीव के समान वहीं पड़ा हुआ था, धीरे धीरे करके उसका शरीर नष्ट होने लगा। जैसे जैसे ग्रेमाक्ष का शरीर नष्ट होता गया, वीर और डार्क लीडर की शक्तियां बढ़ती चली गईं। साथ ही वातावरण में भी बदलाव होने लगा।

"तूने धवल के रूप में बहुत सी मानसिक समस्याएं देखी होंगी डार्क लीडर! परन्तु मेरी बुद्धि जैसी समस्या का सामना आज तक नही किया होगा।" वीर ने डार्क लीडर को चिढ़ाते हुए कहा। दोनों आमने-सामने खड़े थे, टकराव निश्चित था, दोनों के पास एक ही जैसी शक्ति, दोनों के ही इरादे, यह इतना भयंकर टकराव होने वाला था जिससे अंधेरे की दुनिया कांप जाती। अंधेरे के दो अतिशक्तिशाली जीव आपस में टकरा गए, चारों ओर से दर्दभरी सिसकारियां और किसी को भी भयभीत कर देने वाली संगीत लहरियां गूँजने लगी।

"ये ये क्या हो रहा है वीर!" सुपीरियर लीडर ने कभी इस माहौल का सामना नही किया था! पहाड़ टूट रहे थे, उन पहाड़ो के भीतर से कंकाल निकल रहे थे, जो सिर के बल चलते हुए उनकी ही ओर आ रहे थे। एक के बाद एक कई पहाड़ ध्वस्त होते गए।

डार्क लीडर अपनी तलवार लहराई, जिससे ऊर्जा निकलकर वीर की तलवार से टकरा गयी। वीर खूंखार तरीके से मुस्कुराया और तलवार को जमीन में गाड़ दी। डार्क लीडर समझ नही पा रहा था कि यह क्या करने वाला था, डार्क लीडर का अगला वार वीर की तलवार से टकराया और उसके माध्यम से धरती में प्रवेश कर गया।

"तुम क्या करना ये चाहते हो!" डार्क लीडर बौखला गया।

"मैं ग्रेमाक्ष नही हूँ डार्क लीडर! तू मेरे साथ ऐसी कोई चाल नही चल सकेगा जो ग्रेमाक्ष पर कामयाब हो गयी। मेरी दुनिया के लोगों! देख लो तुम्हारा भगवान आ गया।" वीर ने कहा। अचानक ही चारों ओर से शेष बचे पहाड़ हवा में उछलने लगे, साथ ही लावे का दरिया बाहर निकलने लगा। एक के बाद एक कई ज्वालामुखियों का फटना आरम्भ हो चुका था, वह स्थान लावे के समुंदर में तब्दील होता जा रहा था।

"तुम्हें क्या लगता है ये सब बेवकूफियां करके तुम जीत जाओगे! ऐसा हरगिज नही होगा।" डार्क लीडर गुस्से से दहकते हुए बोला।

"ये सिर्फ वीर का नही मेरा भी युद्ध है डार्क लीडर!" कहते हुए सुपीरियर लीडर ने डार्क लीडर पर वार किया, पर डार्क लीडर अपने स्थान से हिला तक नही।

"तू रहने दे सुपीरियर लीडर! इसे मैं अकेले ही देख लूंगा।"

अब चारों ओर ज्वालामुखियों से निकलता लावा आसमान को ढकने लगा था,  जो बरसते हुए धीरे पर लावे का विशाल सागर बना रहे थे। जिसके भीतर से आग में जलते हुए शैतानी जीव बाहर निकलने लगे, जिनका सम्पूर्ण शरीर आग में जल रहा था। वे भी उन कंकालों के साथ फैल गए।

"इस दुनिया में नवजीवन की शुरुआत हो चुकी है डार्क लीडर! इसे मैंने आरम्भ किया है, इसलिए अब मैं ही उत्तराधिकारी चुना जाऊंगा। हाहाहा…!" वीर के चेहरे पर विजयी भाव झलकने लगा।

"तो ये थी तेरी योजना! पर यह योजना सफल नही होगी वीर!" कहते हुए डार्क लीडर ने ज्वालामुखियों को शान्त
करने लगा। जिसे देखकर वीर और जोर से ठहाका लगाने लगा।

वीर उड़ते हुए डार्क लीडर से जा टकराया और उसे उठाकर लावे के दरिये में फेंक दिया। उबलता हुआ लावा शांत हो गया, धरती का सीना फाड़कर जल की मोटी धार लिए असंख्य फव्वारें निकलने लगे, जल की यह तेज धार उन पर्वतों से भी अधिक ऊँचाई तक जा रही थी। उन्ही जल धाराओं के बीच से डार्क लीडर निकला, उसका चेहरा कुछ सामान्य हो चुका था, जलती हुई खोपड़ी बुझ चुकी थी, चेहरे पर नई त्वचा उग रही थी।

ऊपर, आकाश की ओर जहां सभी जल धाराएं एक स्थान पर एकत्रित हो रही थीं वहाँ कुछ जीवों का निर्माण होना आरम्भ हो गया। ये जल से निर्मित अत्यधिक भयावह जीव थे, तेजी ऊपर की ओर जाते हुए जल धारा में अपने अक्स को देखकर डार्क लीडर थोड़ हैरान हुआ, फिर उसके चेहरे पर धीमी सी मुस्कान आयी।

"अंधेरे को पता है उसका उत्तराधिकारी कौन है वीर! जैसे ही मैं अपनी शक्तियों को हासिल कर लूंगा, मेरा चेहरा भी सामान्य होता जाएगा।" डार्क लीडर उड़ते हुए वीर की ओर बढ़ा।

"तुम अभी कुछ नही समझोगे डार्क लीडर! इस पृथ्वय, आग्नेय और जलीय जीवों को देखों, ये उसके सेवक बनेंगे जिसने इन्हें बनाया।" वीर ने उन जीवो की ओर इशारा कर कहा।

"ये सभी जीव मेरी शक्ति से बने हैं, अर्थात ये मेरे सेवक होंगे। तुम्हें इनके निर्माण से क्या लाभ!" डार्क लीडर, वीर की बुद्धि पर हँस रहा था।

"ये भले तुम्हारी शक्ति से जागृत हुए हों डार्क लीडर! पर इन्हें जागृत मैंने किया है हाहाहा….! तुम्हारी शक्तियों का अपनी तरह से प्रयोग कर। तुम्हारी शक्तियां ही तुम्हारे हार का कारण बनेंगी।" ठहाका लगाते हुए वीर ने कहा। "जब ग्रेमाक्ष नष्ट हो गया तभी मैं समझ गया कि नवजीवन आरम्भ करने का समय आ गया, और देखो मैंने अपनी शक्ति का प्रयोग किये बिना नवजीवन को आरंभ कर लिया। अब बस इन्हें वायु एवं आकाश की शक्ति से नवाजना है।"

"तुम तब भी मुझसे कमज़ोर थे, अब भी मेरे समक्ष कुछ नही हो वीर! अपनी अंतिम यात्रा के लिए तैयार हो जा!" डार्क लीडर के शक्तिशाली उर्जावार ने, वीर को उछालकर कोसों दूर फेंक दिया। जिसे देखकर सुपीरियर लीडर आगे बढ़ा।

"यह तेरा युद्ध नही सुपीरियर लीडर! अब इसमें तेरा हस्तक्षेप न करना ही अधिक सही होगा।" डार्क लीडर की त्वचा भरती जा रही थी, उसका चेहरा धवल की तरह दिखाई दे रहा था। "यह युद्ध इस दुनिया के लिए है, मेरे अधिकारों के लिए..!" इससे पहले डार्क लीडर कुछ और कह पाता, एक नीली ऊर्जा किरण के वार ने उसे दूर फेंक दिया। वह एक फव्वारें के मुहाने पर जा गिरा, जिससे जल का बाहर निकलना थोड़ी देर के लिए और अगले ही क्षण डार्क लीडर को हवा में उछाल दिया।

"मान गए वीर! तुम्हारी बुद्धि के सामने कोई नही ठहर सकता, अब अंतिम वार करो और अपने सदियों पुराने सपने को पूर्ण करो।" सुपीरियर लीडर खुश होता हुआ बोला।

"बहुत दिनों बाद ऐसा लग रहा है कि तूने कुछ ऐसा बोला है जो कि तर्कसंगत हो हाहाहा...।" वीर खुशी से ठहाका लगाते हुए बोला। वह अंतिम वार करने को तैयार था, पर डार्क लीडर अपने स्थान पर दिखाई न दे रहा था।

"तुम बड़ी जल्दी जीत का जश्न मनाने लगते हो वीर! आप अपनी मृत्यु का शोक मनाओ।" डार्क लीडर के दोनों हाथों से ऊर्जा किरणें निकलकर वीर की ओर बढ़ी, वीर ने उनसे बचाव हेतु ऊर्जा वार किया, दोनों की ऊर्जा आपस में टकरा गई, फिर तो पूरी धरती डोल गयी।

दोनों एक ही प्रकार की ऊर्जा के धारक थे, न वीर पीछे हट सकता था न ही डार्क लीडर! दोनों के टकराव से उजाले की दुनिया में भीषण तबाहियां आ रहीं थीं।

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"कोई भी ग्रेमाक्ष को कैद करके नही रख सकता! छोड़ो मुझे!" बेड़ियों में बंधा ग्रेमाक्ष बुरी तरह कसमसा रहा था।

"यहां से स्वतंत्र होने का विचार छोड़ दो, पहले यहां से तुम स्वतंत्र इसलिए हो पाए क्योंकि बाहरी दुनिया से किसी ने ऐसा चाहा, कोई विशुद्ध शक्ति तुम्हारे पास अपनी विशुद्ध ऊर्जा लेने आया करती थी।" वातावरण से एक स्वर गुंजा।

"विस्तार! परन्तु विस्तार की शक्ति मेरे पास कैसे हो सकती है?" ग्रेमाक्ष को गहरा आश्चर्य हुआ।

"विस्तार की शक्ति, उसके धारक के अतिरिक्त केवल तुम्हारे पास ही ठहर सकती थी ग्रेमाक्ष। जब तुम्हारे दो भाग हुए तो दोनों को प्रकृति और प्रवृत्ति हिस्से में मिली और तुम्हें मिली एक विशुद्ध ऊर्जा के साथ यह कैद! आश्चर्य न करो ग्रेमाक्ष।" कहता हुआ वह शख्स उसके सामने आकर खड़ा हो गया। परन्तु ग्रेमाक्ष लाख कोशिशों के बाद भी उसे देख पाने में असफल रहा जबकि आवाज उसके सामने से ही आ रही थी।

"ये मैं हूँ! तुम्हारा वह अंश जिसमें तुम्हारी अच्छाइयां है।" वह प्राणी मच्छर से भी छोटा नजर आ रहा, ग्रेमाक्ष यह देखकर हैरान हुआ उसकी शक्ल भी उससे मिल रह थी। "जिसको तुमने पहले देखा था वो तुम्हारा वह भाग था जिसमें तुम्हारी क्रूरता की गाथा थी ग्रेमाक्ष!"

"तुम यहां डार्क प्राइम की विशुद्ध ऊर्जा के साथ कैद कर लिए गए, क्योंकि तुम्हारे दोनों रूप भी इस ऊर्जा को संभालने में असमर्थ थे, स्वयं तुम नही इसे धारण नही कर सकते थे। अचानक तुम्हारे दोनों रूपों को विस्तार ऊर्जा की आवश्यकता हुई, तब तुम्हारे उस अंश को ऐसे स्थान पर रख दिया गया जो संसार में हर एक स्थान पर हो सके, उजाले के संसार में विस्तार के धारक
का जन्म हुआ पर वह तुम्हारे एक रूप द्वारा गुलाम बना लिया गया, जैसे ही वह आजाद होता उसके धारक के कारण उजाले का हितैषी हो जाता। तुम चाहकर भी आजाद नही हो सकते।" वह प्राणी नरम स्वर में समझाते हुए बोला।

"ग्रेमाक्ष को इससे फर्क नही पड़ता कि क्या हुआ, क्या नही! अब मुझे यहां से बाहर निकलना है तो है।" ग्रेमाक्ष पूरी ताकत लगाकर बेड़ियों को खींचने लगा। अचानक वह छोटा सा जीव विशाल रूप धारण करने लगा।

"तुम बेवकूफ हो, तुमने अपने निकलने के साधन को मार दिया, और तो और इस बार उसकी ऊर्जा तुम्हारे पास नही है, अब तुम कभी बाहर नही निकल सकते।" वह, ग्रेमाक्ष के गालों पर अपने नाखून फिराते हुए बोला।

"तो मुझे यहां से विस्तार ही निकालेगा, यदि मैं अंधेरे का ईश्वर नही बन सका तो फिर अंधेरी दुनिया ही तबाह कर दूँगा।" ग्रेमाक्ष की आंखों में क्रूरता नृत्य करने लगी, बेड़िया और कसती जा रही थी, अत्यधिक दर्द के कारण उसने अपने जबड़े भींच रखे थे।

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फटते हुए ज्वालामुखी के साथ उसका शरीर भी उस पहाड़ के सीने को फाड़कर बाहर निकल आया, जीवनदायिनी जलधाराएं उसे अपने गोद में रखकर नवजीवन देने लगी। उसकी आँखों के सामने अनेको दृश्य चल रहे थे। जहां एक उफनती नदी उस गांव को लीलने आगे बढ़ रही थी, दूसरे दृश्य में एक दम्पति जोड़ा था जिसे अभी अभी नवजात शिशु था, तीसरे दृश्य में वे अपने बच्चे को किसी और के हवाले कर रहे थे, चौथे दृश्य में वे दोनों मृतावस्था में एक टूटे पेड़ के नीचे थे, यह दृश्य उसके अंतर्मन को झंझोड़कर रख दे रहे थे। इसके बाद उसने जीवन के कई घटनाओ को देखा, जिसमें वह परिवार के साथ था, अपने कॉलेज में था। फिर एक बार वे सुंदर वन को निकले और उसके बाद उसने अपने ही दोस्तो को बेरहमी से मार दिया।

"मैं हर रोज भी इसकी माफी मांगू तो भी मुझे माफी नही मिलेगी, पर अब ये किसी के साथ ऐसा कुछ नही कर पाएंगे।" उसकी पलके खुली। विस्तार उठ चुका था। उजाले की दुनिया अब भी अनेको प्राकृतिक घटनाओं से त्रस्त थी, जिनसे लोगो को बचाने का हर उपाय नाकाम हो रहा था।

क्रमशः….


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3 Comments

Niraj Pandey

09-Oct-2021 12:26 AM

बहुत खूब 👌 आपके किरदारों के चयन लाजवाब है👌👌

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Shalini Sharma

02-Oct-2021 09:22 AM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

07-Sep-2021 04:08 PM

बहुत ही बढ़िया

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